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| फाइल फोटो : प्रिया मुंडा |
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| #Ranchi Catholic Archdiocese द्वारा लिखा गया पत्र। |
ऐसे में गैर ईसाई आदिवासी जनजाति समाज को अपने हक और अधिकार के लिए कोई भी मांग रखने का संवैधानिक अधिकार है, लेकिन इसमें एक दूसरे धर्म यानी ईसाई धर्म के धर्म-गुरुओं का हस्तक्षेप करना संदेह उत्पन्न करता है। और वो भी तब जब जनजाति समाज की धर्म संस्कृति को सबसे ज्यादा नुकसान ईसाई मिशनरियों के धर्मांतरण मिशन के द्वारा पहुंचाया गया है जो वर्तमान में और तेज हुआ है।
उन्होंने ऐसे प्रश्न खड़ा करते हुवे कहा है की अब सबसे बड़ा प्रश्न ये उठता है कि सरना धर्म कोड की मांग के पीछे मिशनरियों का क्या स्वार्थ छुपा है। साथ ही उन्होंने अपने जनजाति समाज (सरना समाज) के लोगों से भी आह्वान कर कहा है की आप सभी सोचिये आखिर क्यों मिशनरियों द्वारा यह सब मांगे की जा रही है।
ज्ञात हो की पिछले वर्ष ही झारखण्ड सरकार ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व झारखण्ड विधानसभा से सरना धर्म कोड के समर्थन में प्रस्ताव पास कर केंद्र सरकार को भेजा है। जानकारों का माने तो इस मामले पर झारखण्ड की वर्तमान सरकार के मुखिया हेमंत सोरेन ने जल्दबाजी में इस प्रस्ताव को पास कर अपनी राजनितिक वोट बैंक मजबूत करने की कोशिश है।

