आम्रपाली और मगध परियोजना से टंडवा वासियों को कितना लाभ और नुकसान। - एक संदेश भारत

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शुक्रवार, मई 29, 2020

आम्रपाली और मगध परियोजना से टंडवा वासियों को कितना लाभ और नुकसान।

प्रतीकात्मक तस्वीर 

टंडवा/चतरा (विशेष संवाददाता) : प्रखंड की जनता रोजगार हेतू ट्रक और हाइवा खरीदा वर्तमान परिस्थिति में बाहरी ट्रांसपोर्टर का दबदबा इतना बढ़ चुका है कि लोकल गाड़ियों को दरकिनार करते हुए  खुद की गाड़ियों से ट्रांस्पोर्टिंग कर रहे जिसमें मुख्य रूप से अम्बे माइनिंग आम्रपाली से शिवपुर की ट्रांस्पोर्टिंग में कब्जा करके सरल रूप से काम कर रही है। आज लोकल सभी गाड़िया बेरोजगारी के कारण खड़ी है या फिर फाइनेंसर के द्वारा सीज कर लिया गया है और खड़ी गाड़ियां सीज होने के कतार में खड़ी है तथा अपने बारी का इंतजार कर रही है। जले पर नमक छिड़कने के लिए एक छत्तीसगढ़ की आरकेटीसी (RKTC)कंपनी का भी पदार्पण हो चुका है जो अंबे माइनिंग के ही रास्ते पर चल रही है और लोकल गाड़ियों को दरकिनार करते हुए अपनी खुद की गाड़ियों से ट्रांसपोर्टिंग का कार्य धड़ल्ले से कर रही है। सूत्र बताते हैं कि आरकेटीसी (RKTC) कंपनी को स्थानीय नेताओं का भी संरक्षण प्राप्त है।

एक ओर जहां वाहन मालिक परेशान हैं , तो  दूसरी ओर  टंडवा के आम जनता भी 2013 से अभी तक पब्लिक ट्रांसपोर्ट रोड पर कोल वाहनों का कब्जा होने के कारण बढ़े सड़क दुर्घटना में अब तक सैकड़ों लोग अपने प्राण गवां चुके हैं। तथा प्रदूषण में हुए बेहताशा वृद्धि से आमजन कई गंभीर बिमारियों से ग्रसित और परेशान हैं। आम जनता के द्वारा जब भी पब्लिक ट्रांसपोर्ट सड़क में कोल वाहनों का शिकायत प्रशासन के पास किया गया तो प्रशासन ने लोगों को यह समझा बुझा कर चलता कर दिया कि अगर गाड़ियों को सड़क पर चलने से प्रतिबंधित कर दिया जाता है तो लोकल जनता के हाथ से रोजगार चला जाएगा। अब देखना दिलचस्प यह हो गया है कि क्या लोकल वाहन मालिकों का हित देखते हुए जिला प्रशासन के द्वारा बाहरी गाड़ियों को ट्रांस्पोर्टिंग में चलने से रोका जाता है या नहीं। और यदि बाहरी वाहनों को नहीं भी रोका जाता है तो क्या स्थानीय वाहन मालिकों के अधिकारों को संरक्षण मिल पाता है की नहीं। 

टंडवा वासियों के लिए मुकदमा अब सामान्य बात हो गई है जो भी आवाज उठाने का कार्य करती है उस पर अनेक हथकंडे अपनाकर एफ आई आर कर दिया जाता है, जिसके कारण लोग अपने को अब कमजोर समझने लगे हैं जिसका भरपूर फायदा बाहरी लोग उठा रहे हैं। और इस लाभ के हिस्सेदार कुछ स्थानीय जनप्रतिनिधि, नेता  और समाजसेवी भी हैं जो जनहित को दरकिनार कर अपना हिस्सेदारी का पूरा-पूरा ख्याल रख  रहे हैं ।

क्षेत्र में बाहरी लोगों का अतिक्रमण के कारण आज क्षेत्र का अर्थव्यवस्था भी खराब हो चुकी है देखा जाए तो जब लोकल गाड़ियां अच्छे से फल फूल रही थी तब टंडवा के छोटे बड़े व्यापारी भी आगे बढ़ रहे थे। चौक चौराहे नुक्कड़ पर आर्थिक गतिविधि भी तेजी से बढ़ रहा था सड़क के किनारे कई भोजनालय भी आर्थिक गतिविधि में अपना सहयोग दे रहे थे। क्षेत्र में कई गैराज, वर्कशॉप तथा वाहन से संबंधित अनेकों कार्य देखने को मिल रहा था। और उसके वजह से क्षेत्र के लोगो को परियोजनाओं के आने का ख़ुशी तो था। लेकिन समय के साथ वक़्त ने ऐसी पलटी मारी की आम आवाम को छोड़कर जो भी खास हैं वह बाहरियों के आगे अपने हिस्सेदारी तलाशने लगे और क्षेत्र की जनता त्राहिमाम करते हुवे खुद को असहाय और ठगा हुवा महसूस  करने लगे। 

इतना ही नहीं अब सब कुछ बदल चुका है प्रखंड क्षेत्र में चारों तरफ केवल निराशा ही निराशा है।  जहां गाड़ी मालिकों के करोड़ो बकाया और ऊपर से ट्रांपोर्टिंग कंपनियों की मनमानी और बाहरी वाहनों से करवाए जा रहे ढुलाई का काम के कारण तो वहीं आम पब्लिक तक को सिर्फ आश्वाशन के वजह से केवल और केवल परेशान हैं। आश्चर्य की बात तो इस बात पर भी हो जाती है की हर कोई केवल अपने हित पर राजनीति करना चाहते हैं और बड़े से बड़े नेता तक केवल अपना गणित को साधने में लगे हुए हैं।

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